Tuesday, 29 December 2020

तेरी चाहत में

 212 122  222  212


दिल भटक भटक कर बंजारा हो गया। 

(तेरी चाहत में।)

दिल तड़प तडफ़ कर आवारा हो गया।
दिल भटक भटक कर बंजारा हो गया।
 
तुम तो हाथ मेरे आओगी भी  नही ।
सोच कर यही मधु  बेचारा हो गया।

बात मेरि अब यह सुनता भी  है  कहाँ 
 जब से दिल मिरा यह  तुम्हारा हो गया।

मेहमान जब से तुम बनकर आ गई।
रोशनी सा दिल मे उजियारा हो गया।

अब तो बस लगे यह दुनियाँ ही दोगली।
 ख़ाक साजमाना यह सारा हो गया।
*कलम घिसाई*





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