*एक चतुष्पदी बालिका दिवस पर* *बधाई के निमित्त*
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मिले तकदीर वालो को जमाने मे ये रोटी जी।
पड़े सोना वरन भूखा भले हो गाँठ मोटी जी।
तरह ऐसे ही किस्मत हो तभी मिलती है बेटी जी।
नही बेटी अगर घर मे तो इज़्ज़त भी है छोटी जी।
*कलम घिसाई*
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पड़े सोना वरन भूखा भले हो गाँठ मोटी जी।
तरह ऐसे ही किस्मत हो तभी मिलती है बेटी जी।